ट्रेन टिकट किराया बढ़ा: जानिए कितना महंगा होगा सफर Train Ticket Fair Hike

ट्रेन टिकट किराया वृद्धि: क्या असर पड़ेगा आम जनता पर?

भारत में रेलवे देश की लाइफलाइन मानी जाती है। हर रोज़ करोड़ों लोग ट्रेन से सफर करते हैं। मगर हाल ही में रेलवे द्वारा ट्रेन टिकट किराया बढ़ाने की खबर ने आम यात्रियों को चिंता में डाल दिया है। आइए विस्तार से समझते हैं कि आखिर किराया क्यों बढ़ाया गया, इसका असर किन-किन पर पड़ेगा और लोग इससे कैसे निपट सकते हैं।

किराया बढ़ने की वजह क्या है?

रेलवे मंत्रालय का कहना है कि ईंधन की कीमतें बढ़ने, मेंटेनेंस खर्च बढ़ने और नई सुविधाओं को लागू करने के चलते किराया बढ़ाना जरूरी हो गया था। डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं जिससे ट्रेन संचालन की लागत में भी इजाफा हुआ है। इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर आधुनिक सुविधाएं, नई ट्रेनें, बेहतर सुरक्षा और डिजिटल टिकटिंग जैसी व्यवस्थाओं में भी बड़ा निवेश हो रहा है।

किस रूट पर कितनी बढ़ोतरी?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लंबी दूरी की ट्रेनों में किराया 5% से 10% तक बढ़ाया गया है। वहीं शॉर्ट डिस्टेंस पैसेंजर ट्रेनों के टिकट में भी 2% से 5% की बढ़ोतरी की गई है। मेट्रो शहरों को जोड़ने वाली शताब्दी, राजधानी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में किराया ज्यादा बढ़ा है क्योंकि इन ट्रेनों में सुविधाएं बेहतर दी जाती हैं।

किसे पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?

सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो रोजाना ट्रेन से अप-डाउन करते हैं। खासकर छोटे शहरों से बड़े शहरों में काम करने वाले लाखों लोग जिन्हें पहले से ही महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। स्टूडेंट्स, नौकरीपेशा लोग और छोटे व्यापारी वर्ग पर इसका सीधा असर होगा। त्योहारों में जब भीड़ बढ़ती है तब किराया बढ़ने से जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

रेलवे का क्या कहना है?

रेलवे का तर्क है कि भारत में अब भी दुनिया के मुकाबले ट्रेन किराया बहुत कम है। रेलवे का घाटा लगातार बढ़ रहा है। माल भाड़ा से जो कमाई होती है उसी से यात्रियों की सब्सिडी पूरी की जाती है। मगर अब सरकार चाहती है कि यात्री किराया भी लागत के हिसाब से थोड़ा बढ़ाया जाए ताकि रेलवे आत्मनिर्भर बन सके।

किराया वृद्धि से क्या फायदे होंगे?

रेलवे का दावा है कि किराया बढ़ने से मिलने वाला अतिरिक्त पैसा नई ट्रेनों के संचालन, पटरियों के रखरखाव और सुरक्षा इंतजाम को मजबूत करने में खर्च होगा। इससे यात्रियों को लंबी दूरी के सफर में समय की बचत और बेहतर सुविधा मिलेगी। सरकार नई बुलेट ट्रेन परियोजनाओं में भी इसी फंड का इस्तेमाल करेगी।

आम लोगों की क्या राय है?

कई यात्रियों का मानना है कि रेलवे पहले से ही हर साल टिकट के जरिए अच्छी कमाई कर रहा है। ऐसे में मेंटेनेंस और नई ट्रेनें चलाना सरकार की जिम्मेदारी है। किराया बढ़ाकर आम आदमी की जेब पर भार डालना सही नहीं है। कुछ लोग कहते हैं कि रेलवे को फालतू खर्चों में कटौती करनी चाहिए ताकि किराया बढ़ाने की नौबत ही न आए।

किराया वृद्धि को कैसे संभालें?

अगर आप रोजाना ट्रेन से सफर करते हैं तो कुछ तरीके आजमा सकते हैं। सबसे पहले आप मासिक या त्रैमासिक पास बना सकते हैं जिससे एकमुश्त टिकट के मुकाबले काफी पैसे बच सकते हैं। इसके अलावा लो-कॉस्ट ट्रेन जैसे पैसेंजर या ईएमयू का इस्तेमाल करें। ऐप्स और वेबसाइट्स के जरिए छूट या ऑफर्स का फायदा लें। ग्रुप बुकिंग में भी किराया थोड़ा कम आता है।

किराया वृद्धि का विकल्प क्या हो सकता है?

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को किराया बढ़ाने की बजाय पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए रेलवे में निवेश बढ़ाना चाहिए। जैसे मेट्रो प्रोजेक्ट्स में कई शहरों में किया गया है। इससे रेलवे को नया फंड मिलेगा और आम यात्रियों पर बोझ भी नहीं पड़ेगा। इसके अलावा रेलवे को अपनी प्रॉपर्टी और स्टेशन स्पेस का कमर्शियल इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए जिससे अतिरिक्त कमाई हो।

डिजिटल टिकटिंग में क्या मदद मिलेगी?

डिजिटल टिकटिंग से रेलवे को फर्जी टिकट, दलाली और ब्लैक में टिकट बेचने जैसी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। इससे रेलवे की कमाई भी बढ़ती है। ऐसे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन बुकिंग और ऑटोमैटिक टिकट मशीन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि सिस्टम पारदर्शी बने और ऑपरेशन कॉस्ट कम हो सके।

क्या भविष्य में और बढ़ेगा किराया?

रेलवे सूत्रों का कहना है कि अभी जो बढ़ोतरी की गई है वो सीमित है। अगर महंगाई और डीजल के दाम ऐसे ही बढ़ते रहे तो भविष्य में किराया फिर बढ़ाया जा सकता है। सरकार कोशिश कर रही है कि ज्यादा बोझ एक साथ न डाला जाए इसलिए फेज़वाइज बढ़ोतरी की जा रही है। आने वाले समय में नई पॉलिसी के तहत यात्रियों को बेहतर सेवाएं देने पर जोर रहेगा।

क्या लोगों को विरोध करना चाहिए?

कुछ राज्यों में यात्रियों ने किराया वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है। लोगों का कहना है कि ट्रेनों में पहले से ही भीड़ रहती है, समय पर ट्रेनें नहीं चलतीं, सफाई व्यवस्था भी बेहतर नहीं है तो ऐसे में किराया बढ़ाने का कोई तर्क नहीं बनता। कई संगठनों ने मांग रखी है कि सरकार इस बढ़ोतरी को वापस ले या कम से कम गरीब यात्रियों को राहत दे।

निचोड़ क्या निकलता है?

भारत जैसे देश में ट्रेन सिर्फ सफर का साधन नहीं बल्कि आम आदमी की जरूरत है। किराया बढ़ाना रेलवे की मजबूरी हो सकती है मगर इसे आम जनता की जेब पर पड़ने वाले असर को देखकर ही लागू किया जाना चाहिए। बेहतर होगा कि रेलवे अपनी कमाई के दूसरे साधन बढ़ाए, गैरजरूरी खर्चे रोके और यात्रियों को ऐसी सुविधाएं दे जिससे लोग किराया बढ़ने को उचित मानें।

आखिर में कहा जा सकता है कि ट्रेन टिकट किराया वृद्धि एक जटिल मुद्दा है जिसमें रेलवे की जरूरतें और आम जनता की परेशानी दोनों जुड़ी हैं। सरकार को ऐसी नीतियां बनानी होंगी जो विकास और जनता दोनों के हित में हों ताकि रेल यात्रा सस्ती, सुरक्षित और सुविधाजनक बनी रहे।

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